Heeramandi Song hindu mulsim unity हिरामंडी का गाना हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक
संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित Herramandi हीरामंडी मई 2024 के महीने में Netflix नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई थी। और भारत और विदेशों में सीरीज़ की कहानियों, गीतों, नृत्यों और संगीत ने सीरीज़ के लाखों प्रशंसक बना दिए। इस सीरीज में Sufi सूफी संगीत को मूल के तौर पर इस्तेमाल किया गया है और इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत को भी जोड़ा गया है, जिसमें आजादी की लड़ाई में ‘तवायफ‘ यानी उच्च शिक्षित महिला कलाकारों के योगदान को दिखाने की कोशिश की गई है. इसमें सात सौ वर्ष पूर्व अमीर खुसरो द्वारा रचित गीत ‘सकल बन फुल रही सरसो..‘ sakal ban phool rahi sarso sakl ban को लिया गया है। और इस गाने ने खूब इतिहास रचा है. सैकड़ों साल का इतिहास पर्दे पर आ गया है. हमें सकल बन गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझने की जरूरत है।
इस तरह 700 साल पहले इस गाने की रचना हुई थी
तेरहवीं शताब्दी की ही एक प्रामाणिक घटना है कि हजरत ख्वाजा निज़ामुद्दीन अवलिया को उस समय सुल्तान नाम से पुकारा जाता था। उनका भतीजा उनसे बहुत प्यार करता था. भतीजी ने एक बार मामू के बारे में बड़े प्यार से चौका में कहा था, ‘अल्लाह मुझे लंबी उम्र दे।‘ कुछ दिनों बाद वास्तव में भतीजे की मृत्यु हो गई। हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया हैरान रह गये। उन्होंने खाना-पीना, चलना-फिरना और किसी से बात करना बंद कर दिया।
अमीर खुसरो इस्लाम मे भारतीय भक्ति परंपरा को जोडा
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के एक शिष्य, हज़रत अमीर ख़ुसरो को अपने गुरु की पीड़ा सहन नहीं हुई। इसको लेकर वे चिंतित थे. जब वह एक स्थान से दिल्ली लौट रहा था तो उसने दूर-दूर के खेतों में पीले फूल देखे, फूल सोने की खानों के समान थे और उन खेतों के चारों ओर महिलाएँ और पुरुष पीले वस्त्र पहने हाथों में पीले फूल लिए हुए मंदिर की ओर जा रहे थे। हजरत अमीर खुसरो ने उन स्त्री-पुरुषों से पूछा कि पीले फूल और सुराही लेकर कहां जा रहे हो? फिर उन्होंने कहा, “हम इसे अपने प्यारे भगवान के चरणों में मंदिर में चढ़ाने जा रहे हैं।” यह भक्ति अमीर खुसरो के मन में गूंज उठी।
बसंत पंचमी की परंपरा सूफियों तक चली गई।
अमीर खुसरो ने उस समय कहा था कि जैसे तुम्हारा भगवान तुम्हारे मंदिर में है। तो मेरे भगवान हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया हैं। आप मुझे यह फूल और यह पानी की बाल्टी दे दीजिये। मैं अपने ईश्वर को चढ़ाता हूं और वह प्रसन्न होंगे, इसके बाद हजरत अमीर खुसरो ने फूल अपने हाथ में ले लिये। पानी की टोकरियाँ ली गईं। वह दुखी होकर गुरु के घर के बाहर से ही गाने लगा था और दरवाजे पर जाकर खड़ा हो गया। और इस गाने का मतलब है, ‘सकल बन फूल रही सरसो….‘ गांव नाचने लगा.
इस प्रकार सकल बन गीत की रचना उस समय हुई थी यह गीत आज भी हीरामंडी में उसी प्रकार गाया जाता है। उस गाने के दौरान अभिनेत्रियों की लय वाकई काबिले तारीफ है लेकिन इस गाने के बोल से गाने का संगीत और लय दिमाग में गूंजने लगता है और तभी से बसंत पंचमी की परंपरा सूफी में शामिल हो गई है इस गीत में हिंदू मुस्लिम परंपरा की एकता का सूत्र अवश्य देखना चाहिए.
shyam sonar
Leave a Reply